Wednesday, June 26, 2019

आझाद

*आझाद*
प्रमोद शिंदे
        तारीख 15 जून 2019, मैने शाम के वक्त दादर से भायंदर जाने वाली गाडी पकडी, वैसे तो मै रोजाना विरार गाडी पकडता हू, क्यूँकी मै रहने के लिये विरार में हूं, और नौकरी के लिये दादर रोज आया करता हूं, ऊस दिन ऑफिस में मीटिंग होने कि वजह से निकलने के लिये थोडी देर हो गयी, दादर स्टेशन पर आने पर मोबाईल में ट्रेन शेड्युल देखा आने वाली भायंदर गाडी थी और उसके बाद कि विरार गाडी में लगभग 20 मिनिट का अंतर था, सोचा यहा 20 मिनिट रुकने कि बजाय भायंदर गाडी से चलता हूं और भायंदर में गाडी बदल दूंगा और  भायंदर गाडी में चढ गया|    

        लगभग एक घंटे के बाद भायंदर उतरकर विरार गाडी के लिये प्लॅटफॉर्म बदला तो तुरंत सामने हि विरार ट्रेन आ रही थी, चढ़ने लगा तो एक छोटासा बच्चा ट्रेन पकडने के लिये भागे आ रहा था, मै आगे चढ गया, पीछे से यह बच्चा और पीछे एक वयस्क व्यक्ती था, भीड में किसीने बच्चे से पूछा कहा उतरना तो उसने कहा वसई, उसी वक्त उस वयस्क ने किसी से पूछा वसई कौनसी तरफ आयेगा?
तो जवाब आया, "आगे कि तरफ"
उस वयस्क ने हा कहा, तब उस बच्चे से बाजूमें खडे इन्सान ने पूछा, किसके साथ हो तुम?
मैने उस वयस्क व्यक्ती तरफ हाथ दिखाकर कहा,  "इन काका के साथ" उसी वक्त उस वयस्क व्यक्ती तुरंत कहा,  "नही मेरे साथ नही हैं बच्चा! मैने कहा,  "माफ किजीये मुझे लगा आप दोनो कह रहे हैं कि, वसई उतरना हैं तो साथ में होंगे "उसने कहा नही, फिर मैने बच्चे से पूछा तुम किसके साथ हो तो उसने कहा "अंदर हैं"
फिर मैने थोडा बच्चे को डराते हुवे कहा,  "सच बोल वर्ना पुलीस में दूंगा",  तो उसने कहा, " मै अकेला हूं, और घुमने निकला हूं?"
"कहा रहते तो", मैने पूछा, 
तो उसने कहा, "अप्सरा टॉकीज, भिवंडी"
मैने फिरसे कहा, "सच बोल"
"मै सच बोल रहा हूं"  उसने कहा,
फिर आजू बाजू में खडे लोग चर्चा करने लगे, कोई शांती से देख रहा था, तो कोई बच्चे से सवाल पर सवाल किये जा रहा था,  इन सवालो से बच्चा डर रहा था, मैने सभी को शांत रहने को कहा, और कहा "मै सोशल वर्कर हूं, मै देख लेता हूं, आप चूप रहीये" तो कुछ लोग चूप हो गये तो कुछ लोकं वैसे हि चालू रहे,
मैने मेरे मोबाईल से 1098 पर चाईल्ड लाईन पर फोन किया, मिले हुये बच्चे कि जानकारी दी, सामने कि तरफ से एक बंदे ने कहा, "आप उस बच्चे को विरार स्टेशन पर RPF के हवाले कर दो,"
मैने कहा ठीक, फिर मै बच्चे को अंदर लेके गया और उसे बैठने के लिये जगह देदी, अब नालासोपारा आया था, ट्रेन लगभग आधी खाली हो चुकी थी, मुझे फिर सामने से चाईल्ड लाईन से फोन आया, "अब किसी महिला ने पूछा "आपको कोई बच्चा मिला हैं ना?"
"हां",  मैने जबाब दिया,
"आपने उसे RPF को दिया क्या?
मैने कहा,  "नही, अभी विरार आया नही है,  विरार आते हि दे दूंगा"
"ठीक" उन्होने कहा
अब विरार आ चुका था, मै उस बच्चे को लेकर चल पडा, सोचा उसे पहले कुछ खिला दु, ना जाने पुलीस वाले उसे कब और क्या खाने दे,
मैने बच्चे से पूछा, "कुछ खाया हैं आपने?
"नही",  उसने कहा
भूक लगी हैं? कुछ खाओगे?
"नही", 
तुम्हारे अम्मी या अब्बा का नंबर देदो,
"नही याद नही",
हर सवाल को बच्चा नही ऐसे ही  जवाब दे रहा था,
नाम क्या हैं तुम्हारा?
"मोहम्मद सलिम' उसने कहा
"शेख या खान" मैने पूछा
"खान" उसने जवाब दिया
"ठीक" मैने कहा
अब मै उसे लेकर खाने को जाही रहा था, तो पीछे से एक व्यक्ती आया और कहा चलो मै भी साथ आतां हूं, मेरा नाम विजय पात्रे हैं और मै SEO हूं,
मुझे थोडा बेहतर लगा, मैने हा कर दिया, यह वही व्यक्ती हैं जिसने ट्रेन में अंदर जाने पर बच्चे को बैठने के लिये जगह दी थी,
फिर अब हम तीनो विरार स्टेशन के बाहर बच्चे को एक हॉटेल में ले गये, बच्चे को क्या खाओगे पूछा, बहोत सारी चिझो के नाम बतायें, पर वो ना ही कह रहा था
मैने प्यार से समजाया, "देखो खालो, ऐसे भुके रेहाना अच्छी बात नही, तुम्हे बडा होना हैं ना? तो खाना पडेगा "
तो उसने दिवार पर लगे फोटो पर हाथ दिखाया,
मैने देखा तो फोटो वडापाव कि थी,
"वडापाव खाओगे?"
हा,  उसने जवाब दिया,
फिर मैने, दो वडापाव और पानी कि बॉटल बच्चे के लिये मंगाई,
बच्चा खा रहा था, अब हम, मै और विजय पात्रे जी आपस में बाते करने लगे, के आगे क्या किया जाये, उन्होने कहा मेरे कुछ दोस्त भिवंडी में हैं, मै वहा फोन कर लेता हूं, सोशल मीडिया पर मेसेज डाल देता हूं, अब हम मेसेज कैसा होगा? क्या होगा?
इस पर बात करने लगे
अब बच्चे का खाना हो गया, हम निकले बाहर उसे एक बिस्कीट का पॅकेट दिया और कहा रात को खाना,
अब हम उसे पोलीस स्टेशन ले गये, वहा ड्युटी पर मौजूद PSI पाटील मॅडम थी, उन्हे कहा यह बच्चा हमे ट्रेन में मिला हैं और चाईल्ड लाईन पर फोन करने के बाद उन्होने कहा, आपके पास सौप दे, यह बात सुनते हि वो बॊखला उठी और गुस्से से कहने लगी, "उन चाईल्ड लाईन वालो क्या मालूम, जो भी वो हमारे पास भेज देते हैं, हम अभी यही करने के लिये बैठे हैं क्या?"
उसका गुस्सा देख कर मेरे साथ जो विजय पात्रे जी थे, उन्होने पूछा, अब क्या करे?
"इसे वसई लेकर जाओ, वही पर केस दर्ज होगा, आप अभी जाओ बच्चे को लेकर"
अब पुलीस स्टेशन में कोई और पुलीस वाला आया, पाटील मॅडम कि ड्युटी बदल चुकी थी, जाते जाते उन्होने नये आये पुलीस अफसर से कहा, बच्चे को लेकर इन्हें वसई जाने को कहो,  इनके साथ कोई होमगार्ड भेज दो
इन बातो के बीच विजय पात्रे जी बाहर गये उन्होने अप्सरा टॉकीज एरिया जिस पुलिस स्टेशन के अंदर आता हैं उस भिवंडी के शांती नगर का पुलीस स्टेशन का नंबर निकाल कर मुझे बाहर बुलाया, मुझे कहा, "इस नंबर पर कॉल करके बात करो और बताओ सभी"
मैने उस पुलीस स्टेशन में कॉल किया, मिले हुये बच्चे कि जनकारी दी,
ड्युटी पर श्री.घोटले नाम के पुलीस वाले थे, उन्होने थोडी देर रुकने के बाद कहा,  हा हमारे यहा एक बच्चे कि मिसिंग कंप्लेंट आयी हैं आप मुझे बच्चे का फोटो भेज दो मै चेक करता हूं"
मैने उन्हे बच्चे के कुछ फोटो व्हाट्स अप पर भेज दिये,
और फिर एक बार फोन किया उन्होने बच्चा वही हैं ऐसे कहा, फिर मैने उनसे बच्चे के बाप या माँ का नंबर हो तो देने के लिये कहा, उन्होने कहा "नंबर तो नही हैं उन किसीके पास भी नंबर नही हैं"
मैने उन्हे कहा "आप मेरा नंबर रख लिजिए,  जब वोह आये तो उन्हे मेरा नंबर दे दीजिये"
उन्होने कहा, "हा ठीक हैं, पर आप उस बच्चे को पुलीस के पास मत दीजिये, आपके पास रखिये जैसे हि उस बच्चे के बाप या माँ आते हैं मै उन्हे आपका नंबर दे दूंगा"
मैने कहा "ठीक हैं"
अब मै और विजय पात्रे जी अंदर गये और ड्युटी ऑफिसर से कहा,  "बच्चे कि मिसिंग कम्प्लेंट मिली हैं, उस पुलीस वालो ने कहा हैं बच्चा आपके पास रखिये वो आकर ले जायेंगे",
ड्युटी ऑफिसर ने भी अच्छी तरह से सहकार्य करते हुये हमे कहा, आप बच्चे को ले जा सकते हैं, उन्होने मेरा और विजय पात्रे जी का नाम, पत्ता और नंबर लिख लिया|
फिर मै बच्चे को घर लेकर आया, साथ में विजय पात्रे जी भी थे  मेरी पत्नी और मेरे बेटे शिव ने जो  लगभग उसी बच्चे की उम्र का था याने 9 साल का था, दोनो ने स्वागत किया |
पत्नी ने कहा, "अच्छा हुवा तुम घर ले आये वर्ना न जाने क्या होता बच्चे कोई उठा ले जाता तो?"
फिर मेरे बेटे शिव ने सलिम को  टॉयलेट और नहाने के लिये ले गया, अलमारी उसे अपने कपडे निकालकर दिये, नहाने के बाद दोनोने खाना खाया, खाना खाने के बाद सोने से पहले मैने उससे उसकी जिंदगी और घर के बारे में बाते कि, अब भी वोह खुलकर बाते नही कर रहा था? पर अपने पिता का नाम शकील और माँ का नाम कमरुनिस्सा बताया, फिर मैने उसे सोने के लिये कहा, अब वो तुरंत सो गया, दिनभर का थका हारा बच्चा न जाने पुरे दिन में क्या क्या भुगता होगा सो गया |
सुबह फिर ऑफिस जाने से पहले मैने उससे बाते कि उसके सर पर हाथ फैराते कहा "देखो बेटा अल्ला या खुदा पर भरोसा रखते हो?
उसने अपनी गर्दन से हिला कर हसते हुवे हा कहा,
तो बेटा खुदा हर जगह होता हैं, ये मानते हो?
उसने गर्दन हिलाते हुवे हा कहा,
बेटा फिर जब हम झूठ बोलते हैं तो अल्लाह देखता हैं, इसलिये हमे कभी झूठ नही बोलना चाहिये, माँ बाप में खुदा होता हैं, उन्हे कभी नाराज नही करना हैं, इसपर बच्चा हसने लगा, फिर खुलं कर सारी बाते बताने लगा,
उसने जो बाते बताई वो वही थी जो हर दो गरीब के घर से सुनाई देती हैं,
मैने कहा बेटा अब मै जा रहा हूं,  आज आपके घरवालो को धुंड लुंगा, और उन्हे तुम्हे लेकर जाने को कहूँगा,  वोह हस पडा, फिर मैने काम पर निकलते समय अपनी पत्नी से कहा, "यह बच्चा किसी दुसरे कि अमानत हैं, इसका आज अपने बेटे से ज्यादा खयाल करना" अपने बेटे से भी सलिम का ज्यादा खयाल करना
ऐसे कहा, ऑफिस पहुचते हि मैने पहले शांतीनगर पोलीस स्टेशन भिवंडी फोन किया, रात को जो श्री.घोटले साहब थे वो बदल चुके थे, उनकी जगह श्री.रास्ते नाम के कोई अफसर थे, उन्होने कहा मुझे इस मामले में कुछ पता नही हैं आप श्री. घोटले जी से हि बात किजीये, वो ड्युटी पर हि हैं पर बाहर हैं|
फिर मैने घोटले जी को कॉल किया, उन्होने कहा, अभी तक बच्चे के बाप या माँ का पता नही चला, उसके बाद वो यहा पोलीस स्टेशन में आये नही, फिर उन्होने कहा, आप एक काम किजीये बच्चे को यहा शांती नगर पोलीस स्टेशन में ले आईये, हम उसके घर पहूंचा देंगे,   मैने कहा ठीक पर, आज नही हो सकता, कल संडे लेकर आऊंगा, इसी पर हमारी बात खतम हुई,
पर दोपहर के बाद मुझे चाईल्ड लाईन से फोन आया, कहा आपको कल जो जानकारी दी गयी वो गलत थी, आप एक काम किजीये, आप हमे आपके घर का पता दे दिजीये, हम बच्चे को लेकर जायेंगे, मैने कहा पर पोलीस स्टेशन वालो ने मुझे उसे पोलीस स्टेशन पहुचाने को कहा हैं,
इसपर चाईल्ड लाईन वालो ने कहा, नही ऐसे मत किजीये, उसे हम पहूंचा देंगे, पर उसे चाईल्ड वेल्फेअर कमिटी के सामने हमे पेश करना होगा, मैने कहा ठीक, और मैने पता दे दिया, फिर शाम के वक्त चाईल्ड लाईन से एक महिला एक पुरुष और पुलीस वाले घर आये और बच्चे को लेकर गये,
बच्चा जाने के बाद मैने लगभग सारी रात दो से तीन बार वसई पोलीस स्टेशन और चाईल्ड लाईन पर फोन करते हुवे बच्चे कि जानकारी लेता रहा,
उस रात मुझे बहोत सारे फोन आये कुछ उनमे बहोत सारे चोर उच्चको के थे जो बच्चा हमारा हैं, मेरे दोस्त का हैं, मेरी बहन का हैं, मेरे पडोस का हैं, ऐसे कहने लगे, उनकी जानकारी बच्चे ने मुझे दी हुई जानकारी से मेल नही खा रही थी,  पर मै हर एक से मेरी बात उनकी माँ से करवावो ऐसे कहता रहा पर किसीने फिर दोबारा कॉल नही किये, पर उसीमे एक फोन बच्चे के टीचर का कॉल था, उन्होने जो बच्चे के बारे में बाते कही वो सही थी तो मैने उनसे वही कहा, बच्चे कि माँ से बात करादो, और कहा बच्चा अब वसई पुलीस स्टेशन में हैं अब आप लेकर जाये, उन्होने कहा ठीक हैं|
फिर दुसरे दिन सुबह चाईल्ड लाईन कि उन्हे फोन किया पर उन्होने उठाया नही दिन भर बच्चे कि फिक्र खाये जा रही थी, पर शाम को एक कॉल आया वो बच्चे कि माँ का था, बच्चा सही सलामत मिला और बच्चे के पिता उसे लेकर गये, बच्चे कि माँ मुझे और मेरे घरवालो को दुवा दे रही थी, मैने बच्चे से बात कि उसे हमारी याद आ रही थी, फिर मैने मेरी पत्नी से बच्चे कि माँ और बच्चे से बात करवाई |
न जाने बच्चा आज भी याद आतां हैं, उसका मासूम चेहरा और हसी सामने आती हैं, न जाने हमने उसे कैसे आझाद नाम दे दिया, पर वो आझाद हि था|
आझादी जिना चाहता था, आज भी हम कभी कभार आझाद कि याद आये तो उसे फोन कर लेते हैं|

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